श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 65: वन्दीजनों का स्तुतिपाठ, राजा दशरथ को दिवंगत हुआ जान उनकी रानियों का करुण-विलाप  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  2.65.25 
 
 
तत: सर्वा नरेन्द्रस्य कैकेयीप्रमुखा: स्त्रिय:।
रुदन्त्य: शोकसंतप्ता निपेतुर्गतचेतना:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् महाराज के पीछे चलने वाली कैकेयी सहित सभी रानियाँ शोक से दु:खी होकर रोने लगीं और बेहोश होकर गिर पड़ीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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