श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 65: वन्दीजनों का स्तुतिपाठ, राजा दशरथ को दिवंगत हुआ जान उनकी रानियों का करुण-विलाप  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  2.65.22 
 
 
कौसल्या च सुमित्रा च दृष्ट्वा स्पृष्ट्वा च पार्थिवम्।
हा नाथेति परिक्रुश्य पेततुर्धरणीतले॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  कौसल्या और सुमित्रा ने राजा दशरथ के शरीर को छुआ और उनके शरीर का स्पर्श कर दोनों रानियाँ पृथ्वी पर गिर पड़ीं। रानियाँ हा नाथ! हा नाथ! कहकर विलाप करने लगीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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