कौसल्या च सुमित्रा च दृष्ट्वा स्पृष्ट्वा च पार्थिवम्।
हा नाथेति परिक्रुश्य पेततुर्धरणीतले॥ २२॥
अनुवाद
कौसल्या और सुमित्रा ने राजा दशरथ के शरीर को छुआ और उनके शरीर का स्पर्श कर दोनों रानियाँ पृथ्वी पर गिर पड़ीं। रानियाँ हा नाथ! हा नाथ! कहकर विलाप करने लगीं।