वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 65: वन्दीजनों का स्तुतिपाठ, राजा दशरथ को दिवंगत हुआ जान उनकी रानियों का करुण-विलाप
»
श्लोक 21
श्लोक
2.65.21
तासामाक्रन्दशब्देन सहसोद्गतचेतने।
कौसल्या च सुमित्रा च त्यक्तनिद्रे बभूवतु:॥ २१॥
अनुवाद
play_arrowpause
उनके रोने की आवाज़ से कौसल्या और सुमित्रा की भी नींद टूट गई और वे दोनों तुरंत जाग गईं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.