श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 65: वन्दीजनों का स्तुतिपाठ, राजा दशरथ को दिवंगत हुआ जान उनकी रानियों का करुण-विलाप  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  2.65.19 
 
 
ते च दृष्ट्वा तदा सुप्ते उभे देव्यौ च तं नृपम्।
सुप्तमेवोद‍्गतप्राणमन्त:पुरममन्यत॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  तब, उस समय अन्तःपुर में मौजूद दूसरी स्त्रियों ने दोनों देवियों को सोता हुआ देख यही समझा कि महाराज की मृत्यु हो चुकी है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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