स बाष्पपूर्णवदनो नि:श्वसन् शोकमूर्च्छित:।
मामुवाच महातेजा: कृताञ्जलिमुपस्थितम्॥ २१॥
अनुवाद
उनके मुख पर आँसुओं की धारा बह चली और वे शोक से मूर्च्छित होकर दीर्घ निःश्वास लेने लगे। मैं हाथ जोड़े उनके सामने खड़ा था। उस समय उन महातेजस्वी मुनि ने मुझसे कहा, "हे बालक! तूने जो मुझसे पूछा है, वह बड़ा ही महान प्रश्न है। मैं तुझे इसका उत्तर अवश्य दूँगा, परंतु अभी मेरा मन शोक से भरा हुआ है। मैं तुझे कल उत्तर दूँगा।"