श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 64: राजा दशरथ का अपने द्वारा मुनि कुमार के वध से दुःखी हुए उनके मातापिता के विलाप और उनके दिये हुए शाप का प्रसंग सुनाकर अपने प्राणों को त्याग देना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  2.64.18 
 
 
स चोद‍्धृतेन बाणेन सहसा स्वर्गमास्थित:।
भगवन्तावुभौ शोचन्नन्धाविति विलप्य च॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  बाण निकलते ही वे तुरंत स्वर्ग चले गए। मरते समय उन्होंने आपके दोनों पूजनीय अंधे पिता-माता के लिए बहुत दुख और विलाप किया था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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