श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 64: राजा दशरथ का अपने द्वारा मुनि कुमार के वध से दुःखी हुए उनके मातापिता के विलाप और उनके दिये हुए शाप का प्रसंग सुनाकर अपने प्राणों को त्याग देना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  2.64.14 
 
 
भगवंश्चापहस्तोऽहं सरयूतीरमागत:।
जिघांसु: श्वापदं किंचिन्निपाने वागतं गजम्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  भगवन! मैं धनुष-बाण लेकर सरयू नदी के तट पर इसलिए आया था कि यदि कोई जंगली हिंसक पशु या हाथी घाट पर पानी पीने आए, तो मैं उसे मार डालूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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