ततोऽहं शरमुद्धृत्य दीप्तमाशीविषोपमम्।
शब्दं प्रति गजप्रेप्सुरभिलक्ष्यमपातयम्॥ २३॥
अनुवाद
तब मैंने समझ लिया कि हाथी ही अपनी सूंड में पानी खींच रहा होगा; इसलिए, वही मेरे बाण का निशाना बनेगा। मैंने तरकस से एक तीर निकाला और उस शब्द की दिशा में चला दिया। वह तीर दीप्तिमान था और विषधर सर्प के समान भयंकर था। मैंने उसे हाथी को मारने के इरादे से चलाया।