वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 63: राजा दशरथ का शोक और उनका कौसल्या से अपने द्वारा मुनि कुमार के मारे जाने का प्रसङ्ग सुनाना
»
श्लोक 22
श्लोक
2.63.22
अथान्धकारे त्वश्रौषं जले कुम्भस्य पूर्यत:।
अचक्षुर्विषये घोषं वारणस्येव नर्दत:॥ २२॥
अनुवाद
play_arrowpause
उस समय चारों ओर अंधेरा छाया हुआ था। तभी मुझे अचानक पानी में घड़ा भरने की आवाज़ आई। मैं वहाँ तक देख नहीं सकता था, लेकिन वह आवाज़ मुझे हाथी के पानी पीते समय निकलने वाली आवाज़ जैसी लग रही थी।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.