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श्लोक 19
श्लोक
2.60.19
नूपुरोत्कृष्टलीलेव खेलं गच्छति भामिनी।
इदानीमपि वैदेही तद्रागान्यस्तभूषणा॥ १९॥
अनुवाद
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श्रीरामचंद्रजी के प्रति अनुराग के कारण उन्होंने आभूषणों का परित्याग नहीं किया है। इसलिए वैदेहराज कुमारी भामिनी सीता अब भी अपने नूपुरों की झनकार से हंसों के कलनाद को भी मात कर रही हैं और लीलाविलासयुक्त गति से चल रही हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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