वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 60: कौसल्या का विलाप और सारथि सुमन्त्र का उन्हें समझाना
»
श्लोक 14
श्लोक
2.60.14
इदमेव स्मराम्यस्या: सहसैवोपजल्पितम्।
कैकेयीसंश्रितं जल्पं नेदानीं प्रतिभाति माम्॥ १४॥
अनुवाद
play_arrowpause
सीता के संदर्भ में मुझे बस इतना ही याद है। उन्होंने कैकेयी के बारे में अचानक जो कुछ बातें कहीं थीं, वे मुझे इस समय याद नहीं आ रही हैं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.