श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 60: कौसल्या का विलाप और सारथि सुमन्त्र का उन्हें समझाना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  2.60.14 
 
 
इदमेव स्मराम्यस्या: सहसैवोपजल्पितम्।
कैकेयीसंश्रितं जल्पं नेदानीं प्रतिभाति माम्॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  सीता के संदर्भ में मुझे बस इतना ही याद है। उन्होंने कैकेयी के बारे में अचानक जो कुछ बातें कहीं थीं, वे मुझे इस समय याद नहीं आ रही हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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