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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 59: सुमन्त्र द्वारा श्रीराम के शोक से जडचेतन एवं अयोध्यापुरी की दुरवस्था का वर्णन तथा राजा दशरथ का विलाप
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श्लोक 28
श्लोक
2.59.28
स तेन राजा दु:खेन भृशमर्पितचेतन:।
अवगाढ: सुदुष्पारं शोकसागरमब्रवीत्॥ २८॥
अनुवाद
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तब उस राजा को दुःख ने अत्यधिक व्याकुल कर दिया था। इसलिए, वह उस दुर्लभ और कठिन दुख के सागर में डूबकर बोले -॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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