श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 59: सुमन्त्र द्वारा श्रीराम के शोक से जडचेतन एवं अयोध्यापुरी की दुरवस्था का वर्णन तथा राजा दशरथ का विलाप  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  2.59.26 
 
 
अतो नु किं दु:खतरं योऽहमिक्ष्वाकुनन्दनम्।
इमामवस्थामापन्नो नेह पश्यामि राघवम्॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  अब इससे बढ़कर और क्या दुःख होगा कि मैं इस मृत्यु के निकट पहुँचते हुए भी इक्ष्वाकुवंश में उत्पन्न श्रीराम को अपने पास नहीं पा रहा हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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