श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 58: महाराज दशरथ की आज्ञा से सुमन्त्र का श्रीराम और लक्ष्मण के संदेश सुनाना  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  2.58.23 
 
 
अतिक्रान्तवया राजा मा स्मैनं व्यपरोरुध:।
कुमारराज्ये जीवस्व तस्यैवाज्ञाप्रवर्तनात्॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  राजा बहुत बूढ़े हो गये हैं, यह मानकर तुम उनका विरोध मत करना और उन्हें राजसिंहासन से न उतारना। युवराज-पद पर ही प्रतिष्ठित रहकर उनकी आज्ञा का पालन करते हुए ही जीवन-निर्वाह करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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