प्रभु श्री रामचंद्र जी ने धर्म का पालन करते हुए दोनों हाथ जोड़कर और मस्तक झुकाकर कहा - "सूत जी! तुम मेरे द्वारा मेरे ज्ञानी और पूजनीय महात्मा पिता के चरणों में प्रणाम करना, और अंतःपुर में मेरी सभी माताओं को मेरे अच्छे स्वास्थ्य का समाचार देते हुए उन्हें विधिवत प्रणाम करना।"