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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 56: श्रीराम आदि का चित्रकूट में पहुँचना, वाल्मीकिजी का दर्शन करके श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मणद् वारा पर्णशाला का निर्माण,सबका कुटी में प्रवेश
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श्लोक 30
श्लोक
2.56.30
इष्ट्वा देवगणान् सर्वान् विवेशावसथं शुचि:।
बभूव च मनोह्लादो रामस्यामिततेजस:॥ ३०॥
अनुवाद
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सभी देवताओं की पूजा करके पवित्र भाव से श्रीराम ने पर्णकुटी में प्रवेश किया। उस समय असीम तेजस्वी श्रीराम के मन में अत्यधिक आनंद का भाव हुआ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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