वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 56: श्रीराम आदि का चित्रकूट में पहुँचना, वाल्मीकिजी का दर्शन करके श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मणद् वारा पर्णशाला का निर्माण,सबका कुटी में प्रवेश
»
श्लोक 29
श्लोक
2.56.29
राम: स्नात्वा तु नियतो गुणवाञ्जपकोविद:।
संग्रहेणाकरोत् सर्वान् मन्त्रान् सत्रावसानिकान्॥ २९॥
अनुवाद
play_arrowpause
श्रीरामचन्द्रजी, जो सद्गुणों से सम्पन्न थे और जप-कर्म के ज्ञाता थे, ने स्नान करके और शौच-संतोषादि नियमों का पालन करते हुए, संक्षेप में उन सभी मन्त्रों का पाठ और जप किया, जिनसे वास्तु यज्ञ की पूर्णता होती है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.