वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 56: श्रीराम आदि का चित्रकूट में पहुँचना, वाल्मीकिजी का दर्शन करके श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मणद् वारा पर्णशाला का निर्माण,सबका कुटी में प्रवेश
»
श्लोक 27
श्लोक
2.56.27
तत् तु पक्वं समाज्ञाय निष्टप्तं छिन्नशोणितम्।
लक्ष्मण: पुरुषव्याघ्रमथ राघवमब्रवीत्॥ २७॥
अनुवाद
play_arrowpause
शोणित विकार को दूर करने के लिए पकाई गई गजकंद को ठीक से तैयार पाकर लक्ष्मण ने पुरुष सिंह श्री रघुनाथ जी से कहा-
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.