श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 54: लक्ष्मण और सीता सहित श्रीराम का भरद्वाज-आश्रम में जाना, मुनि का उन्हें चित्रकूट पर्वत पर ठहरने का आदेश तथा चित्रकूट की महत्ता एवं शोभा का वर्णन  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  2.54.26 
 
 
एकान्ते पश्य भगवन्नाश्रमस्थानमुत्तमम्।
रमते यत्र वैदेही सुखार्हा जनकात्मजा॥ २६॥
 
 
अनुवाद
 
  "भगवान! एकांत में आश्रम के लिए ऐसी उत्तम जगह ढूंढिए जहाँ सुख भोगने योग्य विदेहराज की पुत्री जानकी प्रसन्नता पूर्वक रह सकें।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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