श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 54: लक्ष्मण और सीता सहित श्रीराम का भरद्वाज-आश्रम में जाना, मुनि का उन्हें चित्रकूट पर्वत पर ठहरने का आदेश तथा चित्रकूट की महत्ता एवं शोभा का वर्णन  »  श्लोक 19-20
 
 
श्लोक  2.54.19-20 
 
 
मृगपक्षिभिरासीनो मुनिभिश्च समन्तत:।
राममागतमभ्यर्च्य स्वागतेनागतं मुनि:॥ १९॥
प्रतिगृह्य तु तामर्चामुपविष्टं स राघवम्।
भरद्वाजोऽब्रवीद् वाक्यं धर्मयुक्तमिदं तदा॥ २०॥
 
 
अनुवाद
 
  ऋषि भरद्वाज के आसपास मृग, पक्षी और ऋषि-मुनि बैठे थे और उनके बीच में वे विराजमान थे। ऋषि भरद्वाज ने अतिथि के रूप में पधारे हुए श्री राम का स्वागत-सत्कार किया। श्री राम ने उनका सत्कार स्वीकार किया और आसन पर विराजमान हुए। तब ऋषि भरद्वाज ने धर्मयुक्त वचन कहते हुए श्री राम से कहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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