ऋषि भरद्वाज के आसपास मृग, पक्षी और ऋषि-मुनि बैठे थे और उनके बीच में वे विराजमान थे। ऋषि भरद्वाज ने अतिथि के रूप में पधारे हुए श्री राम का स्वागत-सत्कार किया। श्री राम ने उनका सत्कार स्वीकार किया और आसन पर विराजमान हुए। तब ऋषि भरद्वाज ने धर्मयुक्त वचन कहते हुए श्री राम से कहा।