श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 53: श्रीराम का राजा को उपालम्भ देते हुए कैकेयी से कौसल्या आदि के अनिष्ट की आशङ्का बताकर लक्ष्मण को अयोध्या लौटाने के लिये प्रयत्न करना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  2.53.19 
 
 
नूनं जात्यन्तरे तात स्त्रिय: पुत्रैर्वियोजिता:।
जनन्या मम सौमित्रे तदद्यैतदुपस्थितम्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  हाँ, सुमित्रा कुमार! निश्चित रूप से पूर्वजन्म में मेरी माता ने कुछ स्त्रियों के पुत्रों को उनसे वियुक्त करवाया होगा। उसी पाप का यह पुत्र-बिछोहरूप फल आज उन्हें प्राप्त हुआ है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.