श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 53: श्रीराम का राजा को उपालम्भ देते हुए कैकेयी से कौसल्या आदि के अनिष्ट की आशङ्का बताकर लक्ष्मण को अयोध्या लौटाने के लिये प्रयत्न करना  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  2.53.17 
 
 
अहमेको गमिष्यामि सीतया सह दण्डकान्।
अनाथाया हि नाथस्त्वं कौसल्याया भविष्यसि॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  मैं अकेले ही सीता के साथ दंडकारण्य जाऊँगा। परन्तु, माता कौशल्या निःसहाय होंगी। तुम वहाँ जाकर उनकी सहायता करना।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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