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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 52: श्रीराम की आज्ञा से गुह का नाव मँगाना, श्रीराम का सुमन्त्र को समझाबुझाकर अयोध्यापुरी लौट जाने के लिये आज्ञा देना,सीता की गङ्गाजी से प्रार्थना
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श्लोक 83
श्लोक
2.52.83
पुत्रो दशरथस्यायं महाराजस्य धीमत:।
निदेशं पालयत्वेनं गङ्गे त्वदभिरक्षित:॥ ८३॥
अनुवाद
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हे देवी गंगे! यह महाराज दशरथ के परम बुद्धिमान पुत्र हैं, जो अपने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए वन जा रहे हैं। आप कृपया इनकी रक्षा करें ताकि ये सुरक्षित रूप से पिता की आज्ञा का पालन कर सकें।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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