वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 52: श्रीराम की आज्ञा से गुह का नाव मँगाना, श्रीराम का सुमन्त्र को समझाबुझाकर अयोध्यापुरी लौट जाने के लिये आज्ञा देना,सीता की गङ्गाजी से प्रार्थना
»
श्लोक 74
श्लोक
2.52.74
स तु दृष्ट्वा नदीतीरे नावमिक्ष्वाकुनन्दन:।
तितीर्षु: शीघ्रगां गङ्गामिदं वचनमब्रवीत्॥ ७४॥
अनुवाद
play_arrowpause
इक्ष्वाकु कुल के राजकुमार श्रीराम ने नदी के किनारे खड़ी हुई नाव को देखकर, तेजी से बहने वाली गंगा नदी के पार जाने की इच्छा से लक्ष्मण से कहा -
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.