वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 52: श्रीराम की आज्ञा से गुह का नाव मँगाना, श्रीराम का सुमन्त्र को समझाबुझाकर अयोध्यापुरी लौट जाने के लिये आज्ञा देना,सीता की गङ्गाजी से प्रार्थना
»
श्लोक 72
श्लोक
2.52.72
अप्रमत्तो बले कोशे दुर्गे जनपदे तथा।
भवेथा गुह राज्यं हि दुरारक्षतमं मतम्॥ ७२॥
अनुवाद
play_arrowpause
निषादराज! तुम्हें सेना, खजाना, किले और राज्य के मामलों में सदा सतर्क और सावधान रहना चाहिए। क्योंकि राज्य की रक्षा करना बहुत कठिन कार्य माना जाता है। इसलिए तुम्हें सदा जागरूक रहना चाहिए और किसी भी संभावित खतरे के लिए तैयार रहना चाहिए।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.