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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 52: श्रीराम की आज्ञा से गुह का नाव मँगाना, श्रीराम का सुमन्त्र को समझाबुझाकर अयोध्यापुरी लौट जाने के लिये आज्ञा देना,सीता की गङ्गाजी से प्रार्थना
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श्लोक 44
श्लोक
2.52.44
आर्तनादो हि य: पौरैरुन्मुक्तस्त्वत्प्रवासने।
सरथं मां निशाम्यैव कुर्यु: शतगुणं तत:॥ ४४॥
अनुवाद
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आपके अयोध्या से प्रस्थान करते समय नगरवासियों ने जिस प्रकार विलाप और आर्तनाद किया था, यदि वे मुझे खाली रथ के साथ लौटते हुए देखेंगे तो उनका हाहाकार सौ गुना अधिक होगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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