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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 52: श्रीराम की आज्ञा से गुह का नाव मँगाना, श्रीराम का सुमन्त्र को समझाबुझाकर अयोध्यापुरी लौट जाने के लिये आज्ञा देना,सीता की गङ्गाजी से प्रार्थना
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श्लोक 37
श्लोक
2.52.37
निवर्त्यमानो रामेण सुमन्त्र: प्रतिबोधित:।
तत्सर्वं वचनं श्रुत्वा स्नेहात् काकुत्स्थमब्रवीत्॥ ३७॥
अनुवाद
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जब निवर्तमान (लौट रहे) सुमंत्र ने श्रीरामचंद्रजी द्वारा समझाया गया सब कुछ सुना, तो उन्होंने श्रीराम से स्नेहपूर्वक यह कहा-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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