श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 52: श्रीराम की आज्ञा से गुह का नाव मँगाना, श्रीराम का सुमन्त्र को समझाबुझाकर अयोध्यापुरी लौट जाने के लिये आज्ञा देना,सीता की गङ्गाजी से प्रार्थना  »  श्लोक 34
 
 
श्लोक  2.52.34 
 
 
भरतश्चापि वक्तव्यो यथा राजनि वर्तसे।
तथा मातृषु वर्तेथा: सर्वास्वेवाविशेषत:॥ ३४॥
 
 
अनुवाद
 
  भरत को यह संदेश दीजिये कि जिस प्रकार तुम राजा के प्रति व्यवहार करते हो, उसी प्रकार सभी माताओं के प्रति समान व्यवहार करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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