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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 52: श्रीराम की आज्ञा से गुह का नाव मँगाना, श्रीराम का सुमन्त्र को समझाबुझाकर अयोध्यापुरी लौट जाने के लिये आज्ञा देना,सीता की गङ्गाजी से प्रार्थना
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श्लोक 30
श्लोक
2.52.30
एवमुक्त्वा तु राजानं मातरं च सुमन्त्र मे।
अन्याश्च देवी: सहिता: कैकेयीं च पुन: पुन:॥ ३०॥
अनुवाद
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सुमन्त्रजी, तुम राजा को यह संदेश पहुँचाकर मेरी माता, उनके साथ बैठी हुई अन्य देवियों (माताओं) और कैकेयी को बार-बार मेरा कुशल-समाचार देना।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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