श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 52: श्रीराम की आज्ञा से गुह का नाव मँगाना, श्रीराम का सुमन्त्र को समझाबुझाकर अयोध्यापुरी लौट जाने के लिये आज्ञा देना,सीता की गङ्गाजी से प्रार्थना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  2.52.24 
 
 
यद् यथा ज्ञापयेत् किंचित् स महात्मा महीपति:।
कैकेय्या: प्रियकामार्थं कार्यं तदविकांक्षया॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  मैं आपसे विनम्र अनुरोध करता हूँ कि महाराज जो कुछ भी आज्ञा दें, उसका आदरपूर्वक पालन करें, भले ही वह आपको कितना भी कठिन या नापसंद क्यों न लगे। ऐसा करने से आप महाराज को खुश करेंगे और कैकेयी का प्रिय भी बनाएंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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