यद् यथा ज्ञापयेत् किंचित् स महात्मा महीपति:।
कैकेय्या: प्रियकामार्थं कार्यं तदविकांक्षया॥ २४॥
अनुवाद
मैं आपसे विनम्र अनुरोध करता हूँ कि महाराज जो कुछ भी आज्ञा दें, उसका आदरपूर्वक पालन करें, भले ही वह आपको कितना भी कठिन या नापसंद क्यों न लगे। ऐसा करने से आप महाराज को खुश करेंगे और कैकेयी का प्रिय भी बनाएंगे।