तब वे दोनों भाई वराह, ऋष्य, पृषत् और महारुरु इन चारों महामृगों का शिकार करके उन्हें मार गिराया। इसके बाद जब उन्हें भूख लगी, तो उन्होंने पवित्र कंद-मूल आदि लेकर शाम के समय विश्राम करने के लिए एक वृक्ष के नीचे जाने का फैसला लिया।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे द्विपञ्चाश: सर्ग:॥ ५२॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें बावनवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ५२॥