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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 51: निषादराज गुह के समक्ष लक्ष्मण का विलाप
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श्लोक 26
श्लोक
2.51.26
परिदेवयमानस्य दु:खार्तस्य महात्मन:।
तिष्ठतो राजपुत्रस्य शर्वरी सात्यवर्तत॥ २६॥
अनुवाद
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इस प्रकार से दुख से परेशान और विलाप कर रहे महात्मा राजकुमार लक्ष्मण को पूरी रात बिना सोए ही गुजर गई।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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