वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 51: निषादराज गुह के समक्ष लक्ष्मण का विलाप
»
श्लोक 25
श्लोक
2.51.25
अपि सत्यप्रतिज्ञेन सार्धं कुशलिना वयम्।
निवृत्ते वनवासेऽस्मिन्नयोध्यां प्रविशेमहि॥ २५॥
अनुवाद
play_arrowpause
‘क्या सचमुच सत्यनिष्ठ श्रीराम के साथ वनवास की अवधि समाप्त होने पर हम सब लोग बिना किसी विपत्ति के अयोध्यापुरी में प्रवेश कर पाएँगे?’ ॥२५॥
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.