श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 51: निषादराज गुह के समक्ष लक्ष्मण का विलाप  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  2.51.24 
 
 
अपि जीवेद् दशरथो वनवासात् पुनर्वयम्।
प्रत्यागम्य महात्मानमपि पश्याम सुव्रतम्॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  क्या हमारे पिता महाराज दशरथ हमारे वापस आने तक जीवित रहेंगे? क्या वनवास से लौटकर हम फिर से उन श्रेष्ठ व्रतों का पालन करने वाले महात्मा का दर्शन कर पाएँगे?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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