वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 51: निषादराज गुह के समक्ष लक्ष्मण का विलाप
»
श्लोक 24
श्लोक
2.51.24
अपि जीवेद् दशरथो वनवासात् पुनर्वयम्।
प्रत्यागम्य महात्मानमपि पश्याम सुव्रतम्॥ २४॥
अनुवाद
play_arrowpause
क्या हमारे पिता महाराज दशरथ हमारे वापस आने तक जीवित रहेंगे? क्या वनवास से लौटकर हम फिर से उन श्रेष्ठ व्रतों का पालन करने वाले महात्मा का दर्शन कर पाएँगे?
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.