उस समय श्रीराम ने रथ के चालक सुमंत से कहा, "सारथी! हम यहीं रुक जायेंगे। परंतु तुम रथ पर सवार होकर पहले उत्तर दिशा की ओर जाओ। दो घड़ी तक तेज गति से उत्तर की ओर जाओ और फिर दूसरे रास्ते से रथ को यहाँ वापस ले आओ। तुम इस तरह से काम करो कि पौराणों को मेरा पता न चल सके।"