श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 44: सुमित्रा का कौसल्या को आश्वासन देना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  2.44.28 
 
 
पुत्रस्ते वरद: क्षिप्रमयोध्यां पुनरागत:।
कराभ्यां मृदुपीनाभ्यां चरणौ पीडयिष्यति॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम्हारा शुभ पुत्र शीघ्र ही अयोध्या लौटेगा और अपने मोटे-मोटे कोमल हाथों से तुम्हारे दोनों पैरों को दबाएगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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