श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 41: श्रीराम के वनगमन से रनवास की स्त्रियों का विलाप तथा नगरनिवासियों की शोकाकुल अवस्था  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  2.41.17 
 
 
बाष्पपर्याकुलमुखो राजमार्गगतो जन:।
न हृष्टो लभ्यते कश्चित् सर्व: शोकपरायण:॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  राजमार्ग पर चलने वाला कोई भी व्यक्ति खुश नज़र नहीं आ रहा था। सबके चेहरे आँसुओं से भीगे हुए थे और सभी शोक में डूबे हुए थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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