श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 37: श्रीराम आदि का वल्कल-वस्त्र-धारण, गुरु वसिष्ठ का कैकेयी को फटकारते हुए सीता के वल्कलधारण का अनौचित्य बताना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  2.37.24 
 
 
आत्मा हि दारा: सर्वेषां दारसंग्रहवर्तिनाम्।
आत्मेयमिति रामस्य पालयिष्यति मेदिनीम्॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  सम्पूर्ण गृहस्थों की पत्नियाँ उनके आधे अंग होती हैं। इस प्रकार से सीता देवी श्रीराम की आत्मा हैं। इसलिए उनकी जगह पर सीता देवी ही इस राज्य का पालन करेंगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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