श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 35: सुमन्त्र के समझाने और फटकारने पर भी कैकेयी का टस-से-मस न होना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  2.35.24 
 
 
प्रियया च तथोक्त: स केकय: पृथिवीपति:।
तस्मै तं वरदायार्थं कथयामास तत्त्वत:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  जब प्यारी रानी ने ऐसा कहा, तब केकय देश के राजा उस वर देने वाले साधु के पास गए और उन्हें सारी घटना ठीक-ठीक बताई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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