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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 3: राज्याभिषेक की तैयारी , राजा दशरथ का श्रीराम को राजनीति की बातें बताना
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श्लोक 17-18h
श्लोक
2.3.17-18h
आबध्यन्तां पताकाश्च राजमार्गश्च सिच्यताम्।
सर्वे च तालापचरा गणिकाश्च स्वलंकृता:॥ १७॥
कक्ष्यां द्वितीयामासाद्य तिष्ठन्तु नृपवेश्मन:।
अनुवाद
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‘नगरमें सब ओर पताकाएँ फहरायी जायँ तथा राजमार्गोंपर छिड़काव कराया जाय। समस्त तालजीवी (संगीतनिपुण) पुरुष और सुन्दर वेष-भूषासे विभूषित वाराङ्गनाएँ (नर्तकियाँ) राजमहलकी दूसरी कक्षा (डॺौढ़ी) में पहुँचकर खड़ी रहें॥ १७ १/२॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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