देवी! यह कहना तुम्हारे मुँह से नहीं निकलना चाहिए। मैं महाराज की आज्ञा से आग में कूद सकता हूँ, विष का सेवन कर सकता हूँ और समुद्र में भी गिर सकता हूँ। महाराज मेरे गुरु, पिता और सबकुछ हैं। उनकी आज्ञा मानने से मैं पीछे नहीं हटूँगा। इसलिए देवी! राजा जो चाहते हैं, वह बताओ! मैं वचन देता हूँ कि मैं उसे पूरा करूँगा। राम दो तरह की बात नहीं करता है।