श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 16: सुमन्त्र का श्रीराम को महाराज का संदेश सुनाना,श्रीराम का मार्ग में स्त्री पुरुषों की बातें सुनते हुए जाना  »  श्लोक 39-40h
 
 
श्लोक  2.16.39-40h 
 
 
नूनं नन्दति ते माता कौसल्या मातृनन्दन॥ ३९॥
पश्यन्ती सिद्धयात्रं त्वां पित्र्यं राज्यमुपस्थितम्।
 
 
अनुवाद
 
  रघुवीर! आपकी यह यात्रा अवश्य ही सफल होगी और आपको अपने पितृक राज्य की प्राप्ति होगी। यह देखकर आपकी माता कौसल्या बहुत प्रसन्न होंगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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