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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 113: भरत का भरद्वाज से मिलते हुए अयोध्या को लौट आना
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श्लोक 6
श्लोक
2.113.6
स तमाश्रममागम्य भरद्वाजस्य वीर्यवान्।
अवतीर्य रथात् पादौ ववन्दे कुलनन्दन:॥ ६॥
अनुवाद
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रथ से उतरकर, कुलनंदन भरत महर्षि भरद्वाज के आश्रम पहुँचे और मुनि के चरणों में प्रणाम किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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