वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
»
सर्ग 113: भरत का भरद्वाज से मिलते हुए अयोध्या को लौट आना
»
श्लोक 5
श्लोक
2.113.5
अदूराच्चित्रकूटस्य ददर्श भरतस्तदा।
आश्रमं यत्र स मुनिर्भरद्वाज: कृतालय:॥ ५॥
अनुवाद
play_arrowpause
चित्रकूट से कुछ ही दूर जाने पर भरत को वह आश्रम दिखाई दिया जहाँ मुनिवर भरद्वाज जी रहते थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.