सारथी सुमंत जी, देखो, अयोध्या की सारी शोभा नष्ट हो गई है, इसी कारण पहले की तरह उसमें चमक नहीं रही है। पहले का सौंदर्य और आनंद अब नहीं रहा। आज यह बहुत ही उदास और शांत हो रही है।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे त्रयोदशाधिकशततम: सर्ग:॥ ११३॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें एक सौ तेरहवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ११३॥