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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 113: भरत का भरद्वाज से मिलते हुए अयोध्या को लौट आना
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श्लोक 23-24h
श्लोक
2.113.23-24h
शृङ्गवेरपुराद् भूय अयोध्यां संददर्श ह।
अयोध्यां तु तदा दृष्ट्वा पित्रा भ्रात्रा विवर्जिताम्॥ २३॥
भरतो दु:खसंतप्त: सारथिं चेदमब्रवीत्।
अनुवाद
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शृंगवेरपुर से प्रस्थान करने पर भरत को पुनः अयोध्या दिखाई दी, जो उस समय पिता और भाई दोनों के बिना थी। उसे देखकर भरत दुःख से व्याप्त हो गये और सारथि से इस प्रकार बोले-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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