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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 2: अयोध्या काण्ड
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सर्ग 113: भरत का भरद्वाज से मिलते हुए अयोध्या को लौट आना
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श्लोक 21
श्लोक
2.113.21
ततस्ते यमुनां दिव्यां नदीं तीर्त्वोर्मिमालिनीम्।
ददृशुस्तां पुन: सर्वे गङ्गां शिवजलां नदीम्॥ २१॥
अनुवाद
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तत्पश्चात आगे जाकर उन सब लोगों ने लहरों की मालाओं से सुशोभित दिव्य नदी यमुना को पार करके पुनः पावन जल वाली गंगा जी के दर्शन किए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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