श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 113: भरत का भरद्वाज से मिलते हुए अयोध्या को लौट आना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  2.113.16 
 
 
नैतच्चित्रं नरव्याघ्रे शीलवृत्तविदां वरे।
यदार्यं त्वयि तिष्ठेत्तु निम्नोत्सृष्टमिवोदकम्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  "भारत! तुम मानव जाति में एक शेर के समान वीर और अच्छे आचरण के जानकारों में सर्वश्रेष्ठ हो। जैसे जल नीचे की भूमि वाले जलाशय में हर जगह से बहता हुआ आ जाता है, उसी प्रकार तुममें सभी श्रेष्ठ गुण विद्यमान हैं, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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