श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 2: अयोध्या काण्ड  »  सर्ग 112: ऋषियों का भरत को श्रीराम की आज्ञा के अनुसार लौट जाने की सलाह देना, भरत का पुनः प्रार्थना करना, श्रीराम का उन्हें चरणपादुका देकर विदा करना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  2.112.13 
 
 
इदं राज्यं महाप्राज्ञ स्थापय प्रतिपद्य हि।
शक्तिमान् स हि काकुत्स्थ लोकस्य परिपालने॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  महाप्राज्ञ! आप इस राज्य को स्वीकार करें और उसके पालन के भार को किसी अन्य व्यक्ति को सौंप दें। वही व्यक्ति आपके नागरिकों या लोगों के पालन-पोषण में सक्षम होगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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