स चापि कालोऽयमुपागत: शनै-
र्यथा मया नास्तिकवागुदीरिता।
निवर्तनार्थं तव राम कारणात्
प्रसादनार्थं च मयैतदीरितम्॥ ३९॥
अनुवाद
हाँ, मैं ऐसा समय आ गया था, जब मैंने धीरे-धीरे नास्तिकों जैसी बातें कह डालीं। श्रीराम! मैंने जो ये बातें कहीं, उनका उद्देश्य सिर्फ यही था कि किसी तरह आपको राज़ी करके अयोध्या लौटने के लिए तैयार कर लूं।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽयोध्याकाण्डे नवाधिकशततम: सर्ग:॥ १०९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अयोध्याकाण्डमें एक सौ नौवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ १०९॥